तन, मन और धन चुरा लूँ उसको दे दूँ और फिर बोलूं इज़्ज़त है हक उसका। तन, मन और धन चुरा लूँ उसको दे दूँ और फिर बोलूं इज़्ज़त है हक उसका।
और औरत भी तभी तक खिली रहती है जब तक पिता के आँगन मे है. और औरत भी तभी तक खिली रहती है जब तक पिता के आँगन मे है.
तेरी नम आंखों में प्रेम के मोती भर जाऊंगा, तुझसे बिछुड़कर मैं अब जी नहीं पाऊंगा, त तेरी नम आंखों में प्रेम के मोती भर जाऊंगा, तुझसे बिछुड़कर मैं अब जी ...
जो मन की किताब के कोरे पन्नों में टेसू की स्याही से, लिखने लग जाता प्रेम के गीत। जो मन की किताब के कोरे पन्नों में टेसू की स्याही से, लिखने लग जाता प्रेम क...
सभी कविताएँ औरतों की लुकी- छिपी भावनाओं से सरोकार रखतीं हैं! कहीं प्रेम की बानगी है तो कहीं लहर सी ... सभी कविताएँ औरतों की लुकी- छिपी भावनाओं से सरोकार रखतीं हैं! कहीं प्रेम की बानगी...
वह प्रेम करता है उस दूसरी औरत से मेरे मोहल्ले की उस औरत से.... वह प्रेम करता है उस दूसरी औरत से मेरे मोहल्ले की उस औरत से....